RBI Update: भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। इस नए निर्देश के अनुसार, कोई भी एनबीएफसी अपने ग्राहकों को 20,000 रुपये से अधिक का नकद ऋण नहीं दे सकती। यह निर्णय वित्तीय क्षेत्र में पारदर्शिता और नियंत्रण बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है।
नए नियम का विवरण
आयकर अधिनियम 1961 की धारा 259एसएस के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को 20,000 रुपये से अधिक का नकद ऋण प्राप्त करने की अनुमति नहीं है। आरबीआई ने इस नियम को और कड़ाई से लागू करने का निर्णय लिया है, ताकि एनबीएफसी क्षेत्र में वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित किया जा सके।
निर्देश जारी करने का कारण
रिज़र्व बैंक ने यह कदम कुछ एनबीएफसी द्वारा नियमों के उल्लंघन के बाद उठाया है। विशेष रूप से, आईआईएफएल फाइनेंस पर लगे आरोपों ने इस निर्णय को प्रेरित किया है। कंपनी पर निर्धारित सीमा से अधिक नकद ऋण देने का आरोप था।
आईआईएफएल फाइनेंस का मामला
आईआईएफएल फाइनेंस पर कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि कंपनी ने कई नियमों का उल्लंघन किया था। इनमें सोने की शुद्धता की अपर्याप्त जांच, अत्यधिक नकद ऋण वितरण, नीलामी प्रक्रियाओं में विचलन और ग्राहक शुल्क में पारदर्शिता की कमी शामिल थी।
नए नियम का प्रभाव
इस निर्देश का सबसे बड़ा प्रभाव एनबीएफसी के दैनिक कार्यों पर पड़ेगा। कंपनियों को अपनी ऋण प्रक्रियाओं में बदलाव करना होगा और 20,000 रुपये से अधिक के ऋण को डिजिटल या चेक के माध्यम से वितरित करना होगा।
वित्तीय क्षेत्र में सुधार
यह कदम वित्तीय क्षेत्र में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे काले धन पर नियंत्रण रखने में मदद मिलेगी और डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा मिलेगा।
आरबीआई के इस निर्देश से एनबीएफसी क्षेत्र में और अधिक अनुशासन आएगा। यह ग्राहकों के हितों की रक्षा करने और वित्तीय प्रणाली को मजबूत बनाने में सहायक होगा।
यह नया नियम वित्तीय क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल एनबीएफसी क्षेत्र में अनुशासन आएगा, बल्कि ग्राहकों के हितों की भी रक्षा होगी।
अस्वीकरण: यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। कृपया किसी भी वित्तीय निर्णय से पहले विशेषज्ञों की सलाह लें। नियम और प्रावधान समय-समय पर परिवर्तन के अधीन हैं।