भारतीय मुद्रा व्यवस्था में एक हजार रुपये के नोट का विशेष स्थान रहा है। 2016 की नोटबंदी में इस नोट को बंद किए जाने के बाद से इसकी वापसी की अफवाहें लगातार चलती रही हैं। आइए जानें कि वर्तमान में इस नोट की स्थिति क्या है और भविष्य में इसकी वापसी की क्या संभावनाएं हैं।
एक हजार का नोट सर्वप्रथम 1954 में जारी किया गया था। 1978 में इसे बंद कर दिया गया, फिर 2000 में पुनः प्रचलन में लाया गया। 2016 की नोटबंदी में यह नोट फिर से बंद कर दिया गया। इस प्रकार इस नोट का इतिहास उतार-चढ़ाव से भरा रहा है।
रिजर्व बैंक का रुख
भारतीय रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया है कि वर्तमान में एक हजार के नोट को वापस लाने की कोई योजना नहीं है। बैंक का ध्यान डिजिटल भुगतान प्रणालियों को मजबूत करने पर केंद्रित है। साथ ही, दो हजार के नोट को भी चलन से बाहर करने की प्रक्रिया जारी है।
वर्तमान मुद्रा व्यवस्था
आज भारत में 2000, 500, 200, 100, 50, 20 और 10 रुपये के नोट प्रचलन में हैं। रिजर्व बैंक लगातार मुद्रा प्रणाली को आधुनिक बना रहा है और नए सुरक्षा फीचर्स वाले नोट जारी कर रहा है।
डिजिटल भुगतान का बढ़ता प्रभाव
वर्तमान में रिजर्व बैंक का फोकस डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने पर है। यूपीआई जैसी प्रणालियों ने भुगतान को सरल और सुरक्षित बना दिया है। इससे नकद लेनदेन की आवश्यकता कम हो रही है।मौजूदा परिस्थितियों में एक हजार के नोट की वापसी की संभावना बहुत कम है। रिजर्व बैंक डिजिटल करेंसी की दिशा में आगे बढ़ रहा है और छोटे मूल्यवर्ग के नोटों को प्राथमिकता दे रहा है।
एक हजार का नोट फिलहाल वापस नहीं आ रहा है। रिजर्व बैंक की नीतियां डिजिटल भुगतान और आधुनिक बैंकिंग प्रणालियों की ओर केंद्रित हैं। हालांकि भविष्य में आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार नीतियों में बदलाव हो सकता है, लेकिन वर्तमान में एक हजार के नोट की वापसी की कोई योजना नहीं है।